राज्य सरकार ने राज्य में छात्रों को मुफ्त में वितरित किए जाने वाले स्मार्टफोन और टैबलेट की आपूर्ति नहीं करने के लिए प्रतिष्ठित स्मार्टफोन और टैबलेट निर्माताओं पर 14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यूपी सरकार ने स्नातक, स्नातकोत्तर, तकनीकी, डिप्लोमा, कौशल विकास, पैरा मेडिकल और नर्सिंग सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले 68 लाख छात्रों को स्मार्टफोन और टैबलेट प्रदान करने का निर्णय लिया था। नोडल बॉडी यूपीडेस्को ने दिसंबर में 25 लाख स्मार्टफोन और 25 लाख टैबलेट खरीदने का टेंडर दिया था। टैबलेट के लिए लावा, विशाल, सैमसंग और एसर ने टेंडर फाइल किए थे।
वहीं, लावा और सैमसंग ने स्मार्टफोन के लिए टेंडर दाखिल किया था। तकनीकी टेंडर में विशाल को टैबलेट के लिए अपात्र घोषित किया गया था। लावा, सैमसंग और एसर 12,700 रुपये प्रति टैबलेट पर आपूर्ति करने पर सहमत हुए हैं। लावा और सैमसंग 10,800 रुपये की दर से स्मार्टफोन की आपूर्ति करने पर सहमत हुए हैं। कंपनियों ने कुल तीन महीने में कुल 17 लाख 70 हजार मोबाइल और स्मार्टफोन की आपूर्ति करने का अनुबंध किया था। लेकिन लावा, सैमसंग और एसर मिलकर तीन महीने में केवल 12 लाख 31 हजार टैबलेट और स्मार्टफोन की आपूर्ति कर पाए हैं।
इस तरह लगाया जायेगा जुर्माना
यूपीडेस्को के एमडी कुमार विनीत ने बताया कि अनुबंध की शर्तों के तहत कंपनियों को प्रति सप्ताह आपूर्ति का लक्ष्य दिया गया था. लक्ष्य पूरा नहीं करने पर कुल निविदा लागत का .5 प्रतिशत प्रति सप्ताह जुर्माने का प्रावधान है। सैमसंग, लावा और एसर पर कुल 14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह उन्हें भुगतान की जाने वाली राशि से घटाकर वसूल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अब तक 2.71 लाख छात्रों को स्मार्टफोन और टैबलेट वितरित किए जा चुके हैं जबकि 9.74 लाख छात्रों को अगले 100 दिनों में वितरित किया जाएगा.
तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति नहीं की जा सकी
सैमसंग, लावा और एसर की ओर से यूपीडेस्को को दिए गए पत्र में बताया गया है कि स्मार्टफोन और टैबलेट में इस्तेमाल होने वाले तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति दूसरे देशों से की जाती है। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर, यूक्रेन-रूस युद्ध समेत अन्य कारणों से उपकरणों की आपूर्ति बाधित रही। इसके कारण कंपनियां निर्धारित संख्या में मोबाइल और स्मार्टफोन का उत्पादन नहीं पाया है।